Tuesday 8 November 2022

BEST LAPTOP REPAIRING COURSE

laptop reapaing course


 The learning duration in Computer repairs for professionals depends on the skill of the trainer and the grasping ability of the student, typically two to three weeks of intensive training in computer software repairs with two weeks of hands on practice is considered adequate and two weeks of theoretical training in computer hardware with three weeks of workshop and field training is mandatory. Finally its practice which will make you perfect.

Best way to learn Buy Now

Tuesday 21 January 2014

गुफ्तगु आँखों से

मैंने  झुरमुटों  की आड़  से  देखा है
तूने  कलियों  को  तोडा  है
तूने  सपनो  को  मरोड़ा  है ,
है  साफ  झलकता  तेरी  आँखों  से।

आँखे  तेरी  मदिरालय  हैं ,
मैंने  भी   मदिरापान  किया।
है  तन्द्रा  तेरी  आँखों  में ,
क्या  तूने  भी  मदिरापान  किया।

अनुभवहीन  तेरी  इन आँखों  ने ,
कटु  अनुभव कितने दिए मुझे।
आँखों  से  मेरे  अश्रु  बहे ,
ये  हश्र  था तेरी इन आँखों का।

आँखों  से  तेरी ये गुफ्तगु ,
एक  कश्मकश  पैदा  करती है।
आँखों की  तेरी ये सियासत ,
अब  समझ  से  मेरी परे   है।

आँखों  से तेरी  झलकता  है ,
ना  छोडू  ऊम्मीद  का दामन  अभी ,
तेरी  झुकी  हुई  जो  नजरें  हैं ,
कुछ खास  इशारा  करती हैं। 

Sunday 14 July 2013

द्वन्द्व

             
तेरी वाणी ,मेरी अभिव्यक्ति
तू पथप्रदर्शक ,मै पथिक 
स्वर्णिम मुख ,तेरा प्रत्बिम्ब 
तेरे फैसले, मेरा आगाज । 

कारण के खोज में हू मै आज भी तेरे अस्तित्व के ,
ये असर था "दिल की सुनो "का 
या  तेरी  आवाज़ ही ऊँची थी । 

विचलित मन, तेरी दिलासा 
सुनी  रातें ,तेरी बातें 
कठिन संघर्ष ,विजय तेरी । 

क्यों  चिंतन  हारा तुझसे ,
क्यों गिरा मै गर्त में खुद से ,
क्यों  पिलाया गरल प्रेम का ?

मेरा मस्तिष्क ,तेरा चिंतन
मेरा हृदय ,तेरा कुञ्चन
सांसे 'तेरी' ,बस जीवन मेरा |

Sunday 3 February 2013

बेजान बंदिगी

नापसन्द  है तुझे अमन इस ज़मी पर ,
वाकिफ़ हो चुका मै ,झूठ और फ़रेब की तेरे इस ज़न्नत से ,
 पता नही ,तुझे तेरे अपनों से क्या ख़ता है?

तेरे खिलौने ,करते तुझे रौशनी है ,
ये सोचकर कि तू कितना दिलनशीं है ,

उन्हें पता कहाँ ,
नही फ़िक्र है तुझे उनके हिफ़ाजत की ,
बना के छोड़ दिया तूने ,टूटने को उन्हें ,
तोड़ने वाले भी तो तेरे अपने ही हैं ,

पूछता हूँ  मै एक सवाल आज तुझसे ,
देखकर हैवानियत इस जमीं पर ,
क्या तू खुद पर यकीन कर पायेगा ?
है विश्वास, तू इस बार न मुकर पायेगा ,

देख मेरी आँखों में दर्द का समन्दर ,
तेरी हुकूमत अब बर्दाश्त नही  होती ,
दिखा हिम्मत और सामने आ ...
 उठा गाण्डीव और बन जा अर्जुन ,
इतिहास गवाह है तू नाउम्मीद नही करेगा ,

तेरे मुकर जाने पर ,
जब होगा हर तरफ धुआं -धुआं ,
ख़ुशी होगी तेरी कोई इबादत न होगी ।


Sunday 1 July 2012

Words After YOU




What a blowy night it was!
Second day of lovable february,
how sweetly you laughed!
voice of my heart was before you;
you deny ,i became free.

Free, free from peace,comfort
and free from all the happiness;
which i wanted
destiny played a very close match with my dreams;
dreams losses,as always.

Scattered books calling me,
wants to give me peace;
as i wanted from you
but i denied them ;
as you denied me.

Comfortable bed calling me
wants to give me comfort,
as i wanted from you,
but i denied ;
as you denied me.

Night dreams calling me without fail,
wants to give me fake happiness,
as they gave me always,
but i denied;
no more fake dreams like 'You'

Tonight all the love staring me,
my books,comfortable bed
and you also.
a huge heap of thoughts formed,
instead of your dreams,

Hence a first night,
without your dreams ended......
What a shiny morning!
New day,new thought,aim,
new experience added in experienced life.





Sunday 25 December 2011

आज मैंने खुद को उदास देखा ,
आज मैंने खुद को निराश  देखा,
पहले भी एक दौर आया था ऐसा ,
तब वजह कुछ और थी ,
अब वजह कुछ और है|
आज मैंने खुद को बदलते देखा 
आज मैंने अन्तः परिवर्तन देखा ..............







Sunday 28 August 2011


 आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर प्रकाश झा द्वारा directed "आरक्षण "फिल्म की चर्चा जोरों पर है |यहाँ तक की इस फिल्म को कुछ राज्यों द्वारा प्रतिबंधित भी कर दिया गया ,उसके बाद जबकि सेंसर बोर्ड ने फिल्म को प्रसारित करने की मान्यता दे दी है|
 कुछ जातिवर्ग विशेष लोगों द्वारा फिल्म का व्यापक विरोध हुआ ,दलील यह दी गई की फिल्म के रिलीज होने से देश की एकता-अखंडता को खतरा हो जायेगा,कारण यह बताया गया की फिल्म में कुछ आपत्तिजनक दृश्य एवं संवाद है,जिससे वर्ग विशेष को ठेस पहुँचता|खैर फिल्म रिलीज हुई ,दो-तीन राज्यों में प्रतिबन्ध के साथ और कुछ दृश्यों की काँट-छाँट के बाद |जिन राज्यों में फिल्म रिलीज हुई वहां से अभी तक एकता-अखंडता के नुकसान की कोई सूचना अभी तक तो प्राप्त नहीं हुई है|फ़िलहाल अब यह फिल्म सभी राज्यों में देखी जा सकती है,फिल्म का विरोध करने वाले बुद्धिजीवियों से मै यह प्रश्न करना चाहूँगा कि क्या उन्हें देश कि संस्कृति और संस्कार से कोई लेना देना नहीं?जिसकी नीव पर ही एकता और अखंडता कि ईमारत टिकती है|प्रत्येक माह कितनी ही ऐसी फिल्मे रिलीज होती है जिनमे बहुत कुछ आपत्तिजनक एवं अश्लील होता है ,जिनके प्रभावों के बारे में अधिक कहने की आवश्यकता नहीं ,जिसने मर्यादा संस्कार और संस्कृति का पूर्णरुप से हनन कर दिया है|इन फिल्मो के लिए न तो किसी प्रकार की कोई काँट-छाँट की कोई आवश्यकता होती है न विरोध वगैरह की|थोड़ा बहुत हो हल्ला होता है,लेकिन सब publicity के लिए इस प्रश्न पर बुद्दजीवियोँ का जवाब बड़ा हास्यास्पद है,वे इन अमर्यादित फिल्मोँ को केवल मनोरंजन का साधन भर मानतेँ हैँ ,अब मैँ यह कहूँ कि इस विवादास्पद 'आरक्षण' फिल्म को मात्र मनोरंजन का साधन मान लिया जाए तो...............
वास्तव मेँ फिल्म मेँ आरक्षण मुद्दे पर कटु सत्य को दिखाया गया है जो जातिवादी उन्मादियोँ द्वारा बर्दाश्त नहीँ किया जा रहा है,फिल्म के आलोचक जनता को सच्चाई से दूर क्योँ रखना चाह रहेँ हैँ?खैर अब आप उत्तर प्रदेश मेँ भी इस फिल्म को निश्चिँत होकर देख सकते हैँ।
यदि इस फिल्म के कारण कोई उन्माद भड़का होता तो इसके दोषी मात्र वे हीँ होते जिन्होँने फिल्म का विरोध किया।विरोध उन फिल्मोँ का होना चाहिए जिनके लिए विरोध आवश्यक है।'आरक्षण'फिल्म का विरोध करनेँ वाले लोग हीँ देश मेँ एकता और अखण्डता के ध्वंस के दोषी हैँ।क्या नहीँ है ऐसा?विचार करके देखिए....................